अल्लाहु अल्लाहु अल्लाहु अल्लाहु

अल्लाहु अल्लाहु अल्लाहु अल्लाहु

ये जमी जब न थी , ये जहा जब न था
चाँद सूरज न थे , आसमा जब न था
राजे हक़ भी किसी पर अया जब न था
तब न था कुछ यहाँ … था मगर तू ही तू

पोहचे मेअराज में अर्श तक मुस्तफा
तब न मअबूद बन्दे में परदा रहा
सब मलायक ने हज़रत से जुक कर कहा
सारी मख्लूक़ में … हकनुमा तू ही तू

क्यु पिया इब्ने हैदर ने जामे फ़ना
खाल खिचवाई तबरेज ने क्यु भला
डाल पर चढ़के मन्सूर ने क्या कहा
हा बनाके खिलौने रहा तू ही तू

लाइलाहा तेरी शान या वाहदहु
तू खयालो तजसूस तुहि आरजू
आंख की रोशनी … दिलकी आवाज़ तू
था भी तु है भी तु होगा भी तुही तु

मालिके कुल हे तू इसमें क्या गुरुत गु
सारे आलम को हे तेरी ही जुस्तजू
तेरी जल्वागरी है अया चारसू
हा भी तू हे भीतू … होगा भी तू ही तू

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