ग़म सभी राहतो तसकीन में ढल जाते हैं

ग़म सभी राहतो तसकीन में ढल जाते हैं
जब करम होता हे हालात बदल जाते हैं

उनकी रेह़मत हे खतापोश गुनाह गारो की
खोते सिक्के सरें बाज़ार भी चल जाते हैं

इसमें रेहमत का वज़ीफा हे हर एक ग़म का इलाज
लाख खतरे हो इसी नाम से टल जाते हैं

अपनी आग़ोश में ले लेता हे जब उनका करम
ज़िन्दगी के सभी अंदाज़ बदल जाते हैं

आ पड़े हे तेरे क़दमों में हम भी ये सुन कर
जो तेरे क़दमों पे गिरते हे संभल जाते है

कोई देखे तो ज़रा उनकी दुहाई दे कर
इश्क़ सादिक हो तो पठ्ठर भी पिगल जाते है

रख ही लेते हे भरम उनके करम के सदक़े
जब किसी बात पे दीवाने मचल जाते हैं

कैफ अफज़ा हे वोही क़तरे जहां में खालीद
सागरे नात से क़तरे जो उछल जाते हैं

आपको काबाए मक़सुद ही मानु खालीद
आपके दर पे सब अरमान निकल जाते है

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