जब तक जियु मैं आपका कोई गम न पास आए
जो मरो तो हो लहद पर तेरी रहमतों के साए
मेरी जिंदगी का मकसद हो ऐ काश इश्के अहमद
मुझे मौत भी जो आए इसी जुस्तजू में आए
मुझे मौत जिंदगी दे मुझे जिंदगी मजा दे
जो किताबे जिंदगी पर मोहर अपनी वह लगाए
वह दिया जो बुझ गया था वह जो खो गई थी सूजन
हुआ हर तरफ उजाला जो हुजूर मुस्कुराए
चली आंधीया गमों की गिरी बिजलीया दुखों की
यह तेरा करम है लेकिन यह कदम न लड़खड़ाए
जिसे मारा हो गमों ने जिसे घैरा हो दुखों ने
मेरा मशवरा है उसको वह मदीना होके आए
कोई गारे सौर मे यू ब जबाने हाल बोले
न हटाऊगा अंगूठा मेरी जान अगर चे जाए
मौला अली की ताअत की वो शान अल्लाह अल्लाह जिसके लिए वह डूबा सूरज भी लौट आए
दरे यार पर पड़ा हूं इस उसूल पर गिरा हूं
जो गिरा हुआ हो खुद ही उसे कौन अब गिराए
मैं गुलाम ए पंजतन हूं ना समझना बेसहारा
मैं हूं गौस का दीवाना कोई हाथ तो लगाए
यही आरजू दिली है तेरी बज़्म में किसी दिन
यह तेरा उबेद आए तुझे नाथ भी सुनाए