नबी का लब पर जो ज़िक्र हे बे मिषाल आया कमाल आया

पे करे दिल रुबा बनके आया
रुहे अर्ज़ो समा बनके आया
सब रसुले खुदा बनके आये
वो हबीबे खुदा बनके आया

नबी का लब पर जो ज़िक्र हे
बे मिषाल आया कमाल आया
जो हिज्र तैबाह मे याद बन कर
खयाल आया कमाल आया

तेरी दुआओं ही की बदोलत
अज़ाब रब से बचे हुए है
जो हक मे उम्मत के तेरे लब पर
सवाल आया कमाल आया

गुरूर हुरो का तोड़ ड़ाला
लगाके माथे पे टिल खुदा ने
जो काले रंग का गुलाम तेरा
बिलाल आया कमाल आया

नबी की आमद से नुर फैला
फिज़ाए शब पर निखार आया
चमन मे कलीयो के रुख पे ह़ुसनो
जमाल आया कमाल आया

उमर की जुर्रत पे जाऊ क़ुरबा
थे केसरो किसरा जिनसे लरज़ा
उमर के आने से कुफ्र पर जो
ज़वाल आया कमाल आया

नबी तो साईम सभी आला
हे रुत्बे सब के अ़ज़ीमो बाला
मगर जो आखिर मे आमीना का
वो लाल आया कमाल आया

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