*√\√\√\* *अगर रोज़े की हालत मैं हैज़ आजाए तो क्या हुक्म है* *√\√\√\*
•••┈● *सवाल : २३५* ●┈•••
*किया फरमाते हैं उल्माऐ दीन व मुफ्तियाने शरअ मतीन इस मसअले के बारे मैं के अगर किसी औरत को रोज़े की हालत मैं हैज़ का खून आजाए तो उस सूरत मैं उस का ये रोज़ा होगा या नहीं नहीं? नैज़ अगर रोज़ा नहीं होगा तो किया ये दिन के बक़िया हिस्से मैं खा पी सकती है या नहीं*❓❓
•••┈● *जवाब : २३५* ●┈•••
📌 अगर रोज़े की हालत मैं औरत को हैज़ आजाए तो उस दिन का रोज़ा नहीं होगा, दिगर अय्याम हैज़ की तरह उस दिन के रोज़े की भी बाद मैं क़ज़ा करनी होगी। नैज़ उस सूरत मैं औरत पर बक़िया दिन रोज़ा दार की तरह गुज़ारना वाजिब नहीं। खाना वगैरा खा पी सकती है, अल्बत्ता बेहतर ये है के छूप कर खाना वगैरा खाए।
📌 फतावा आलमगीरि मैं है: ” *واذا حاضت المراة او نفست افطرت ، كذا في الهداية*
*तर्जमा* : और अगर औरत को हैं या निफास का खून आजाए तो टूट जाएगा, जैसा के हिदाया मैं है।
( फतावा आलमगीरि, जिल्द, १, सफा, २०७ )
बहारे शरीअत मैं है: ” औरत को जब हैज़ो निफास आगया तो रोज़ा जाता रहा… हैज़ो निफास वाली के लिए इख्तियार है के छुप कर खाए या ज़ाहिरन, रोज़ादार की तरह रेहना उस पर ज़रूरी नहीं। मगर छुप कर खाना ओला है खुसूसन हैज़ वाली के लिए।
📚📚 [ बहारे शरीअत, जिल्द, १, सफा, १००४ ]
وَاللہُ اَعْلَمُ عَزَّوَجَلَّ وَرَسُوْلُہ اَعْلَم صَلَّی اللہ تَعَالٰی عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم
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