अब तो बस एक ही धुन है कि मदीना देखूं
आखरी उमर में क्या रोनक ए दुनिया देखो
मेनू मजबूरियां ये दूरियां ने मारिया
सद लो मदीना आका करो मेहरबानियां
दादाहा गरीब आका कोल मेरे ज़र नय
उड़के में किवे आका नाल मेरे पर नहीं
तूसा ते हैं ड़ेरा मैं तो बड़ी दूर लालिया
सदलो मदीना आका करो मेहरबानियां
जालिया देखु के दीवारों दरो बाबे हर
अपनी मांज़ुर निगाहों से में क्या क्या देखूं
मैं कहां हूं यह समझ लु तो उठाऊ नजरें
दिल जो संभले तो मैं फिर गुंबदे खजरा देखूं
मेरे मौला मेरी आंखें मुझे वापस कर दे
ताकि इस बार में जी भर के मदीना देखू
काश ईकबाल यूंही उम्र बसर हो मेरी
सुब्ह काबे मे तो फिर शाम को तैबा देखो