मुनव्वर मेरी आंखों को मेरे शमसुद्दूहा करदे

मुनव्वर मेरी आंखों को मेरे शमसुद्दूहा करदे गमों की धूप में वह सायाए ज़ुल्फे दुता कर दे जहां बानी अता करदे भरी जन्नत हीपा कर दे नबी मुख्तार कुल है जिसको जो चाहे अता करदे जहां में उनकी चलती है वह दम में क्या से क्या कर दे ज़मी को आसमा कर दे सुरैया को … Read more