बलगल उला बे कमालेही

बलगल उला बे कमालेही क-स-फददुजाबे जमालेही, हसनत जमी-उल-खिसालेही सल्लू अलयहे व आलेही वो कमाले हुस्न-ए-हुजूर है, के गुमाँने नक्श जहाँ नहीं, यही फूल खार से दूर है, यही शम्मा है के धूवा नहीं। सल्लू अलयहे व आलेही …… मै निशार तेरे कलाम पार, मिली यू तो किसको जुबा नहि, वो सुखन है, जिसमे सुखन न … Read more

अशरफ़ का करम है मुझ पे मेरे

दिल जो बना मेरा चिश्ती हरम अशरफ़ का करम है मुझ पे मेरे   आप का रोज़ा कितना आली आप के दर की शान निराली रोज़ा तुम्हारा है बाग़-ए-इरम   अशरफ़ का करम है मुझ पे मेरे अशरफ़ का करम है मुझ पे मेरे   जो भी दर पे आए तुम्हारे ख़ाली झोली भर कर … Read more