वरफअ्ना लक जिकरक…

है यह फरमान है खुदा जिसकी है आलम में धमक यह वह आयत है जिसे पढ़ते हैं सब हूरों मलक वरफअ्ना लक जिकरक… मेरी मय्यत को ना तुम बागो चमन में रखना खाके तयबाही फक़त मेरे कफन में रखना ताकि मिलती रहे जन्नत में भी तैबा की महक चुमके केहते थे दिहलीज़े नबूवत को बिलाल … Read more