दरे नबी पर ये उमर बीते

दरे नबी पर ये उमर बीते हो हम पे लूतफे दवाम ऐसा मदीने वाले कहे मकानी हो उनके दर पर कयाम ऐसा यह रिफ्अते जिक्र ए मुस्तफा है नहीं किसी का मकाम ऐसा जो बाद जिक्रे खुदा है अफजल है जिक्रे खैरुल अनाम ऐसा जो गमजदो को गले लगा ले बुरो को दामन में जो … Read more