रोक लेती है आपकी निस्बत

रोक लेती है आपकी निस्बत तीर जितने भी हम पे चलते हैं यह करम है हुजूर का हम पर आने वाले अजब चलते हैं वोही भरते हैं झोलियां सबकी वोह समझते हैं बोलियां सबकी आवो दरबार ए मुस्तफा को चले गम खुशी में वहीं पे ढ़लते हैं अब हमें क्या कोई गिराए गा हर सहारा … Read more