नेंमतें बाँटता जिस सिम्त वो ज़ीशान गया, साथ ही मुंशी-ए-रहमत का क़लमदान गया।

नेंमतें बाँटता जिस सिम्त वो ज़ीशान गया नेंमतें बाँटता जिस सिम्त वो ज़ीशान गया, साथ ही मुंशी-ए-रहमत का क़लमदान गया। ले ख़बर जल्द कि ग़ैरों की तरफ़ ध्यान गया, मेरे मौला, मेरे आका तेरे क़ुर्बान गया। नेंमतें बाँटता जिस सिम्त वो ज़ीशान गया, उन्हें जाना, उन्हें माना, न रखा ग़ैर से काम, लिल्लाह, अल-हम्द, मैं … Read more