बड़े लतीफ हे नाजुक से घर में रहते हैं
मेरे हुजूर मेरी चश्मे तर में रहते हैं
हमारे दिल में हमारे जिगर में रहते हैं
उन्हीं का घर है ये वह अपने घर में रहते हैं
यकीं वाले कहां से चले कहां पहुंचे
जो अहले शक है अगर मैं मगर में रहते हैं
खुदा के नूर को अपनी तरह समझते हैं
यह कौन लोग हैं किसके असर में रहते हैं